Wednesday, December 24, 2014

दिल्ली लाइफ-8

'पीके' देखी और ऑफिस में हुई एक घटना याद हो आई...

अख़बार में विज्ञापन देने के लिए ऑफिस में एक तांत्रिक बाबा आये और सर को विज्ञापन छपवाने के लिए आग्रह किया. सर ने पूछा बाबा आप क्या क्या विध्या जानते है और क्या ये कार्य करतीं हैं ? बाबा ने स्टाइल मार के पैर के ऊपर पैर रख तसल्ली से कहा- हम सभी प्रकार के कष्टों का निवारण करते हैं. पूजा-हवन यज्ञ, संतान प्राप्ति, मनचाही शादी, वशीकरण, ग्रह शांति, सौतन दुश्मन खात्मा, किया-कराया, खोया प्यार पाना, कालसर्प पूजा, गया धन/लौटरी सट्टा आदि कई कार्य जादूटोना, तांत्रिक और समाधी द्वारा पूर्ण करते हैं.
सर, मैं और हमारे एक और साथी मित्र रवि उनकी बातें सुन पहले तो अपने अपने सर खुजलाने लगे फिर एक दुसरे को देख वाह की व्याख्या में मुस्कुराए... सर ने गला साफ़ कर बाबा से कहा- तो ये बतायें बाबा आप इतना सब जो करते है क्या ये सभी शर्तिया पूरा होता है या कभी ऐसा भी हुआ है कि काम ना बना हो ? बाबा तपाक से बोला - नहीं ...कभी नहीं ...आज तक ऐसा कभी नही हुआ ....ये गारंटीड होता ही है ....सर ने फिर शांत स्वर में पूछा - तो बाबा आप ये देश में हो रहे दंगे, आतंकवादी हमले, लूट-पाट और देश कि सुरक्षा के लिए हवन करे, समाधी लगायें, जादू करें, तंत्र विध्या से वशीकरण कर मोदी का दिमाग ठीक करें उसे वशीकरण कर देश के हित में कार्य करें, मैं फ्री में आपका विज्ञापन छापूंगा और इस कार्य के लिए जो खर्चा होगा उसका भी प्रबंध कर दूंगा...कहिये करेंगे ??
सर की बात सुन बाबा के कान, बाल और वह स्वयं खड़े हो गये और बोले ये ईश्वर की इच्छा है मैं इसमें बाधा क्यूँ बनू और निकल लिए. और आज पीके देख ये बाबा बड़े याद आये.

तो भाई बात जे कि पीके बेहतरीन फ़िल्म है और समाज को मनोरंजन के साथ अच्छा सन्देश भी देती है. तमाम ढोंगियों को एक बार ये फ़िल्म जरुर देखनी चाहिये और इस भरी सर्दी में आशाराम और रामपाल को भी पिकनिक के बहाने ही सही पीके के उपदेश जरुर सुनाने चाहिये...शायद कल को पीके2 बनने तक ये सुधार जायें.....देखिए भाई लोग होप नहीं खोनी चाहिये...चूँकि वही तो ईश्वर है

कई दिनों से साथी मित्रों कि पीके पर पोस्ट पढ़ी. कुछ से काफी हद तक सहमत हूँ की धर्म और मनोरंजन मिल कर कारोबार कर रहे है तो अरविन्द जी कई बार बच्चों को जैसे गा-गा कर कविताएँ सिखाई जाती हैं उसी तरह ये फिल्में भी मनोरंजन के साथ हमारे देश के नासमझों को ज्ञान दे रही हैं....बाकियों ने अपने अनुभव बताये अच्छा लगा उन सभी का भी मत उनके अनुसार सही ही है.

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