Tuesday, December 9, 2014

हम दोषी है...

बात ये नहीं है की अपराधी 48 घंटे में पकड़ लिया गया.....असल बात ये है कि अपराध हो ही क्यों और अपराध कैसे रुके....'निर्भया कांड' के बाद भी हमारा कानून इतना लचर है की अभी भी पुलिस अपराधी को अपराध करने के बाद ही पकड़ पाती है.....फिर कैसे ये सत्ताधारी महिला सुरक्षा को चुनावी मुद्दा बना कर वोट बटोर लेते हैं....कहाँ हैं इनके वादे जिसको ढाल बना कर ये सत्ता हथिया लिए बैठे है ....ऐसी घटनाओं पर उनका सिर्फ भाषण होता है...2 मिनट का मौन और अफ़सोस .....सुरक्षा के नाम पर क्या यही काफी है ????

दिल्ली में हुई हालिया 'कैब घटना' के बाद मेरी माँ ने मुझे फ़ोन पर इतनी सारी नसीहतें दे डाली की सोचती हूँ ..कौनसी छोडू और कौनसी पकडूं...... डरना स्वाभाविक है पर क्या डरते रहने भर से ही अपराध ख़त्म हो जायेंगे ? मेरी माँ आगरा से मुझे यहाँ नसीहतें देतीं हैं और शायद इसी तरह हर दुसरे बड़े शहरों में हर लडकी को उसकी माँ नसीहतें देती ही होगी....जल्दी ऑफिस से लौटना, अकेली कहीं मत जाना, अपने पास कुछ हथियार रखना, फ़ोन में स्पीड डायल रखना, अपनी दोस्त को सब बता के आना-जाना....ये वो और भी बहुत कुछ ..कभी-कभी तो कह देतीं है की ...सब छोड़ो और घर वापस आ जाओ..... डरना सावधानी हो सकता है ...पर ये डर यही ख़त्म नहो हो जाता बल्कि बढ़ता है ...हर लडकी डरे की उसके साथ कभी भी...कहीं भी ....कैसे भी ... बुरा हो सकता है और इस डर को पाले रखे अपने अन्दर...जीये इस डर के साथ....

पिछले दिनों रोहतक की लडकियों ने जो किया उस पर खूब बवाल मचा...उन दोनों ने अपना बचाव किया इसलिए वो चरित्रहीन और गन्दी लडकियाँ हो गयीं.....और जो लडके बलात्कार करते है वो जवानी के जोश में गलतियाँ करते हैं.....ये गलतियाँ नाबालिक भी कर दे तो मामूली बात है....और इस बात पर कोई बवाल नहीं होता बल्कि इनके बचाव में पूरी की पूरी बिरादरी उतर आती है....

यानी ...मसला लड़का लड़की का है ....इज्ज़त का नहीं ...सुरक्षा का नहीं ...... लड़के दो थप्पड़ खा जायें अपनी गलती पर तो ...नए नियम बनाये जाते हैं लड़कियों को काबू करने के लिए लेकिन.... अगर लड़कियां नोची जायें...जलाई जायें...काट-पिट दी जायें तो उनके लिए कानून बनाने पर विचार होगा ....विचारों के लिए सत्र चलायें जायेंगे....अफ़सोस ज़ाहिर किया जायेगा....नई सरकार के आने पर वो फिर से पुराने विचारों पर पुनः विचार करेगी ....और तब तक न्याय के लिए ....किसी का परिवार सामूहिक आत्मदाह करेगा...लड़कियां पंखे पर झूलेंगी...ज़हर खायेंगी...या कोई माँ अपनी कोख में ही अपनी संतान को मार डालेगी...... लेकिन सुरक्षा .....वो नहीं मिलेगी .....कभी नहीं मिलेगी....

शर्म आती है ये सोच कर की हम इस सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है ....हम वोटर हैं ...हम ही असली दोषी है...

No comments:

Post a Comment