Wednesday, September 24, 2014

दिल्ली लाइफ- 1

दिल्ली के बारे में लोगो की आम राय यही है की यहाँ के लोग ''एक दुसरे से कोई मतलब नहीं रखते...अपने स्वार्थ के लिए सारे हथकंडे अपना लेते है यानी ...बेहद स्वार्थी और मतलब परस्त लोग है'' .....

मैं इस राय को नकारती हूँ ....मैं दिल्ली में जहाँ पहले रहा करती थी वो मेरे रिश्तेदार थे और एक्सीडेंट के बाद जब में घर गयी तो गुज़रते वक़्त के साथ वो रिश्तेदार और उनकी सोच भी बदल गयी .....दुःख हुआ मुझे बहुत पर ....अच्छा ही हुआ वक़्त रहते सच्चाई सामने आ गयी....

फिर वापस दिल्ली आई और रहने के लिए जगह तलाशती उससे पहले ही मेरी कुछ माह पूर्व बनी सखी ने बड़े ही स्नेह से मुझे अपने घर में रहने को कहा .....''मैं बता दूँ...मेरी सखी पूरी तरह से दिल्ली की हैं और इसी मतलबी परिवेश कि हैं ....लेकिन इनके स्वभाव में दूर-दूर तक इस दोहेरे परिवेश का कोई नामो-निशां नहीं है'' ..... मुझसे उम्र में बड़ी होने के बाद भी इनके व्यक्तित्व का सादापन और इनकी सरलता इन्हें सबसे ख़ास बनाती है.....मुझे इस बात की बेहद ख़ुशी है की जब मेरे अपनों ने मेरे साथ सौतेला व्यवहार किया तब मेरे साधारण से परिचय के बाद भी ''मेरी सखी'' ने मुझे वैसे समझा और अपनाया जैसी मैं हूँ...

उनके परिवार ने भी मुझे मेरे नाम से नहीं बल्कि ''नये रिश्तों'' से जोड़ा और सम्बोधित किया....मैं मानती हूँ की हमारे अनुभव हमें किसी के प्रति राय बनाने पर मजबूर करते है परन्तु उस अनुभव को हर एक इन्सान पर आज़माना और राय बनाना गलत है ..... अगर सभी मतलबी और स्वार्थी है तो....अच्छे लोग कहाँ है और कौन हैं?

दिल्ली में दिल वाले हो न हो ...पर दिल्ली में दिल-वालियाँ जरुर हैं .....

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