Monday, February 9, 2015

आओ मर्दों चलो कैंडल मार्च निकालें…..

चलो आओ मर्दों...
अपने दोस्तों को इकठ्ठा कर लो
वो जो दिन भर लड़कियों के कॉलेज के बाहर मुंह फाड़ कर,
ललचाई नजरों से छोटी बच्चियों तक को निहारता है उसको और
उसके पूरे ग्रुप को बुला लो
तुम्हारे पड़ोस के वो दो लड़के जिन्होंने अपनी
काम वाली बाई के साथ ज़बरदस्ती की थी उनको भी आने को बोल देना
नुक्कड़ पर खड़े उन लड़कों को भी बोलना
जो दिन भर मोहल्ले भर की हर आने-जाने वाली लड़की के शरीर को नापते रहतें हैं
हर शाम पार्क में बैठे उन अधेड़ों को भी बुलाना जो
पार्क में मौजूद हर महिला का ऊपर से नीचे तक
अपनी फूटी चार आँखों से एक्सरे लेते है
फेसबुक के भी उन अंकल लोगों को बुला लेना जो
बेटी बेटी से शुरू हो कर बेटी के साइज़ तक पहुँच जाते है
उनको भी न भूलना जो जॉब देने के लालच से महिलाओं को अपने
घर/ऑफिस बुला कर उन्हें छूने की कोशिश करते हैं
अपने ऑफिस के उन तमाम मर्दों को भी बुलाना जो
साथी महिला कर्मचारियों को दिन-रात सोच सोच अपनी कुंठाएं निचोड़ते रहते हैं
उस भाई को भी बुलाना जिसने अपनी चचेरी बहन
के सीने को 'धोखे से' दबा दिया था
उस बाप को भी बुलाना जो अपनी बेटी को सबके सोने के बाद रुलाता है
उस दादा, ताऊ, चाचा और मामा को भी बुलाना जिसने
अपनी बेटी जैसी रिश्तेदार को जीते जी मार दिया और हो सके तो
अपने उस दोस्त को भी बुलावा भेजना जिसने
अपनी बीवी को नोंच कर तुम सब के सामने परोस दिया था

देखो चौराहे पर
एक और निर्भया पड़ी है
उसके लिए न्याय मांगना है
आओ कैंडल मार्च करें, नारे लगायें
किसी और निर्भया के साथ ऐसा न हो
आओ इंसाफ मांगें

हम लड़कियों की तो
आवाज़ ही नहीं है ना इसलिए तो
तुम्हे बुलाया है आओ साथ दो हमारा...पर
आना तो सोच बदल के आना
हाँ बस अभी के लिए ही ....आ सकोगे ना??
हाँ आसान ही होगा तुम सब के लिए...यही तो असल में तुम हो न?

तो आओ पहनो अपने नकाब और
लगाओ नारे ...इंसाफ मांगो ...
मांगो रहम की भीख
मांगो हमारे लिए जीने का हक़
मांगो हमारे लिए सुरक्षा
मांगो हमारे लिए ज़िन्दगी

आओ मर्दों चलो कैंडल मार्च निकाले

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